सामाजिक सरोकार
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी प्राणी है। उसे समाज में रहकर सामाजिक सरोकार में स्वयं को संलग्न करके समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाना चाहिए, यथा-
मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान है । पंखों से कुछ नहीं होता , हौसलों से ही उड़ान है ॥
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